गुरुवार, 25 मार्च 2010

कुछ नया करने की चाह


अब जब मित्रो की बाते चल ही रही है तो इनसे मिलो ये हमारे मित्र प्रवीन मालवीय इनमे हमेशा ही एकजुट होकर चलने की भावना होती है परन्तु इनके कई विरोधी भी जो इनको नए आयाम के सिखर पर चड़ते हुए नहीं देख पाते इनमे कुछ नया कर गुजरने ख्वाइश है ये हमेशा ही नया नया करते रहते है व् सोचते रहते है ये कंप्यूटर में दक्छ है ..................

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