बुधवार, 17 मार्च 2010

राजेश चोरसिया जी हमारे परम मित्र थे पर अभी ये वकालत करते करते हमें भूल गए पर कभी कभी ये हमें याद कर लेते है जब भी मिलते है पुराने दिन याद कर लेते है पर अभी ये अपने लाइफ को सवारने मैं लगे है इनकी मित्रता बड़े ही विद्वानों लोगो से है ये हमेशा ही अपने विचारों को प्राथमिकता देते हुए अपने विचार रखते है ?

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